शुभ अमृत वेला शुभ दिन सभी प्रभु जी के प्यारो को मुबारक हो जी
प्यारी सी सुबह में आपका स्वागत है आशीर्वाद मिले बड़ो से स्नेह मिले अपनों से खुशियां मिले जग से यही प्रार्थना है प्रभु से सब खुश रहे आप से और आप खुश रहे सबसे दुनियां के रेन बसेरे में पता नही कितने दिन रहना है जीत लो सबके दिलो को बस यही जीवन का गहना है शुभ अमृत वेला
धनी बनने की परिभाषा क्या है बहुत सारा पैसा बंगला गाडी नौकर चाकर ऐशो इतरत के साधन सब नश्वर हैं ये तो आज हैं कल नही असल अमिर की निशानी है गुरु के प्यारे भक्ति से भरे हर वक़्त जुबाँ पर शुकराना लिए सेवा भाव से ओत प्रोत प्रभु नाम की कमाई करते जीव यही शाश्वत सत्य है अमिर बनना है तो असली अमिर बनो भजन भक्ति करो*
चाहे तुम इस दरवाजे से जाओ चाहे दुसरे यह अलग अलग रस्ते हैं जो एक ही रस्ते पर निकलते हैं यह मजहब हम इंसानो का ही बनाया हुआ है तुम जो भी दवार से जाओ तरीका तो एक है और रास्ता भी एक है चाहे तुम गीता पदो बाइबिल पढ़ो या क़ुरान पढ़ो सब मैं यही लिखा है के सब का प्रभु मालिक एक ही है और उन तक पहुंचने जरिया भी एक है चाहे तुम सिख और हिन्दू और ईसाई या मुस्लिम पहुंचना तो तुम्हे उस प्रभु मालिक तक ही है
बोली एक अनमोल है जो कोई बोलै जानि हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि
अर्थ : यदि कोई सही तरीके से बोलना जानता है तो उसे पता है कि वाणी एक अमूल्य रत्न है इसलिए वह ह्रदय के तराजू में तोलकर ही उसे मुंह से बाहर आने देता है*
एक बार तुलसीदास जी से किसी ने पूछा :- कभी कभी भक्ति करने को मन नहीं करता फिर भी नाम जपने के लिये बैठ जाते है, क्या उसका भी कोई फल मिलता है तुलसी दास जी ने मुस्करा कर कहा
तुलसी मेरे राम को रीझ भजो या खीज
भौम पड़ा जामे सभी उल्टा सीधा बीज
अर्थात् :भूमि में जब बीज बोये जाते हैं तो यह नहीं देखा जाता कि बीज उल्टे पड़े हैं या सीधे पर फिर भी कालांतर में फसल बन जाती है इसी प्रकार नाम सुमिरन कैसे भी किया जाये उसके सुमिरन का फल अवश्य ही मिलता है
जब हम सच्चे दिल से ईश्वर को प्रार्थना करते हैं वो कहीं ज़्यादा सुनते हैं जितना कि हम कहते हैं बहुत ज़्यादा ही दे देते हैं जितना हमने सोचा भी नहीं होता लेकिन वो अपने समय और अपने तरीके से ये सब कर देते हैं और हम समझ बैठते हैं कि ईश्वर सुनता ही नहीं ये नहीं सोचते वहां देर है पर अंधेर नहीं
शुभ अमृत वेले दी सरेंयां नू सतनाम श्री वाहेगुरु वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह जी सतश्रीअकाल जी