परमात्मा का न तो कोई अतीत है। और न कोई भविष्य।। परमात्मा का तो केवल वर्तमान है। आप परमात्मा के संबंध में अतीत और भविष्य का प्रयोग नहीं कर सकते आप नहीं कह सकते कि परमात्मा था आप यह भी नहीं कह सकते कि वह होगा आप केवल यह कह सकते हैं, कि परमात्मा है। वास्तविकता में जो इस क्षण में है।। उसी का नाम परमात्मा है। उसके अतिरिक्त और कोई परमात्मा नहीं है।। इस क्षण में समग्रता से लीन हो जाना ही ध्यान है, समाधि है। इस क्षण को पूरी तरह से जी लेना ही आत्म बोध है, निर्वाण है
!! हरि ॐ !!
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